लखनऊ के गुडंबा इलाके में शनिवार तड़के पहुंचने के बाद से तेंदुआ लगातार तीन दिनों तक विभिन्न कालोनियों और इलाकों में अब तक 15 से अधिक लोगों को घायल कर चुका है। वह अभी भी राजधानीवासियों के लिए आतंक का पर्याय बना हुआ है। बावजूद वन विभाग की टीम उसे पकड़ने में नाकाम साबित हो रही है। वन विभाग की टीम ने रविवार की रात तकरोही के दरोगा खेड़ा इंटीग्रल यूनिवर्सिटी और बड़ा भरवारा की सूचना मिलने पर तेंदुए को वहां सर्च किया, लेकिन वह मिला नहीं।
शनिवार को वह सबसे पहले गुडंबा की घनी आबादी में गलियों में टहलते देखा गया। सीसी कैमरे की फुटेज में जब लोगों देखा तो उन्हें जानकारी हुई। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस, वन विभाग और चिड़ियाघर की टीम ने जबतक पहुंचकर रेस्क्यू शुरू किया। इस बीच तेंदुआ कई घरों में घुसा, किसी की छत पर पहुंच गया तो किसी घर की बाउंड्रीवाल फांदकर गेट अंदर घुस गया। कभी सड़क पर आकर गलियों घूमता।
जहां उसे लोग दिखते तो उन्हें दौड़ाने लगता। तेंदुए का आतंक पूरे इलाके में दहशत फैल गई। उसने अब तक करीब 15 लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। दहशत में लोग घरों में दुबक कर बैठ गए। रेस्क्यू के दौरान वन विभाग की टीम के द्वारा फेंके गए जाल में एक बार तेंदुआ फंसा पर उनकी घोर लापरवाही से फिर चंगुल से छूटकर भाग निकला।
ठाकुरगंज और आशियाना में भी मचा चुका है आतंकः वर्ष 2018 में तेंदुआ ठाकुरगंज स्थित एक स्कूल के पास घनी आबादी में घुस गया था। घंटों रेस्क्यू चला था। इसके बाद आशियाना इलाके में घनी आबादी में घुसा था। उसने तत्कालीन इंस्पेक्टर त्रिलोकी सिंह पर भी हमला बोल दिया था। त्रिलोकी सिंह ने तेंदुए को गोली मार दी थी। गोली लगने से तेंदुए की मौत हो गई थी।
डीएफओ डॉ रवि कुमार सिंह का कहना है कि वन विभाग की टीम लगी है, लेकिन अभी तक कोई लोकेशन नहीं मिली है। कुछ जगहों पर कुत्ते या किसी पशु के पग मार देखने के बाद लोग उसे तेंदुआ समझ बैठे थे। तेंदुआ की उम्र ढाई से तीन साल है। एक तेंदुआ की औसत उम्र 10 वर्ष होती है।
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